Sanovar
Tuesday, May 27, 2025
अधूरी चीज़ों की फेहरिस्त...हमारे इर्द-गिर्द कुछ चीज़ें अधूरी सी हैं एक मकान की अधूरी खिंचीं दीवार एक अधूरी छूट गई सड़क अधूरी रह गई कोई किताब कोई कहानी अधूरी साफ़ करने को यह गया घर का कोई कोना अधूरा अधूरी रह गई कोई बात कुछ ख्वाब अधूरे सेकोई मौसम अधूरा साएक गीत अधूरा कितनी उम्मीद जगाती हैं ये तमाम अधूरी चीज़ें कि अभी बहुत कुछ बाकी हैकि मंज़िल अभी बाकी है! mamta
Friday, December 22, 2023
इमरोज़ के नहीं होने का अर्थ
इमरोज़ के नहीं रहने का अर्थ!!
सुनो!
तुम्हारे नहीं रहने का अर्थ
रंगों का बिखर जाना भी है।
तुम्हारे नहीं रहने का अर्थ एक किंवदंती का नहीं रहना भी है
तुम्हारे नहीं रहने का अर्थ एक कहानी का नहीं होना भी है
तुम्हारे नहीं होने का अर्थ किसी ख्वाब का नहीं होना भी है
तुम्हारे नहीं होने का अर्थ किसी पहेली का नहीं रहना भी है
तुम्हारे नहीं रहने का अर्थ
गुमनाम का इतिहास हो जाना भी है
तुम्हारे नहीं रहने का अर्थ
प्रेम का बचे रह जाना भी है!!
अलविदा इमरोज़।
ममता 22/12/23
Tuesday, November 28, 2023
पहाड़ और मनुष्य
पहाड़ और मनुष्य
सुनो!
क्या तुमने कभी पहाड़ को बोलते हुए सुना है...
क्या तुमने कभी पहाड़ को सोते हुए देखा है...
क्या तुमने कभी पहाड़ को सोचते हुए देखा है...
क्या तुमने कभी पहाड़ को रोते हुए सुना है...
पहाड़ और मनुष्य में कोई अंतर नहीं है!!
@ममता 28/11/23
उत्तरकाशी में सत्रह दिन ।
Saturday, November 25, 2023
घर
घर-1
सुनो!
मैं जब भी लौटता हूं घर
अपने साथ लेकर लौटता हूं
कुछ सब्जियां
कुछ लून ओ तेल
कुछ चिल्ल पों
दोस्तों से हुई नोंक झोंक
बहुत सारी धूल
थोड़ा सा दफ़्तर
अवसाद और उदासी
खुशखबरी कभी कभार
और तुम बारह बार
बार बार
मुझे हंसकर अपने आगोश में लेते हो!
और भरकर रख देते हो वह सब
अपने ही किसी अंधेरे कोने में एक गठरी में
वह सब जो मैं लेकर लौटता हूं
घर-2
सुनो!
आज सफाई के दौरान
घर के एक अंधेरे कोने से निकली
एक गठरी
जिसमें
साल भर का सामान था
थोड़ा सा अवसाद
कुछ आंसू जो किसी के व्यवहार से उपजे थे और जिन्हें मैं बटोर कर ले आया था
कुछ पुराने दस्तावेज़ स्मृतियों के
थोड़ी बहुत खुशखबरियां
और
दुर्व्यवहार अजनबियों का कभी मित्रों का भी
यह सब था उस गठरी में
लेकिन फिर भी कोई बदबू नहीं आई
घर! सब कुछ समेटते रहे तुम
मौन औ निष्कलंक रहे तुम!
@ममता नवंबर एक2023
Wednesday, November 22, 2023
ज्ञान...
अंतहीन यात्रा का भी अपना अलग सुख है!!
ज्ञान की यात्रा भी कुछ ऐसी है..कोई मंज़िल नहीं.. सिर्फ़ और सिर्फ़ यात्रा..
आपने कुछ जान लिया है ..यह तो सुखद है और आपको बहुत कुछ जानने को बच रहा है..यह अपरिमित आनंद और ऊर्जा का विषय है।
संगत में वागीश शुक्ल जी और अंजुम जी वार्ता सुनकर ऐसा ही लगा।
ममता 22/11/23
Friday, March 24, 2023
सुनो!
पड़ा और खड़ा
सुनो!
जब मैं शब्दकोश में पड़ा और खड़ा का अर्थ देख रहा था
वह सड़क पर पड़ा था और मैं सड़क पर खड़ा था।
जब मैं नींद की बेहतरीन और कम नुकसानदेह दवाइयां तलाश कर रहा था
वह सड़क पर बिना हिले डुले पड़ा था
और मैं सड़क पर बेचैन सा खड़ा था
जब मैं अपने एक अकाउंट के हैक हो जाने की सन्हा दर्ज कर रहा था
तब भी वह सड़क पर बेसुध पड़ा था
और मैं माथे पर हज़ार रेखाएं लिए खड़ा था
और जब मैं अपनी स्मार्ट घड़ी के आंकड़ों पर खुश हो रहा था
वह सड़क पर बिना हरकत पड़ा था!!
और मैं सड़क पर.....
ममता
Thursday, January 13, 2022
सुनो!!
सुनो!!
कल कुछ ऐसा हुआ
कि मैंने एक कविता को पढ़ा,
फिर पढ़ा,
फिर एक बार पढ़ा,
कविता सांस के साथ थी,
कविता स्वस्थ और भली थी,
कविता हंसी के साथ थी,
कविता का दिल भी धड़क रहा था,
कविता बाअसर थी,
बावजूद मैंने उसे उठाया,
और आपरेशन टेबल पर धर दिया,
और उसका डिसेक्शन करने लग गया!
मुझे कुछ हासिल न हुआ!
कविता ने कल आपरेशन टेबल पर दम तोड़ दिया!!
आज तिथि 14/01/20220 को
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