घर-1
सुनो!
मैं जब भी लौटता हूं घर
अपने साथ लेकर लौटता हूं
कुछ सब्जियां
कुछ लून ओ तेल
कुछ चिल्ल पों
दोस्तों से हुई नोंक झोंक
बहुत सारी धूल
थोड़ा सा दफ़्तर
अवसाद और उदासी
खुशखबरी कभी कभार
और तुम बारह बार
बार बार
मुझे हंसकर अपने आगोश में लेते हो!
और भरकर रख देते हो वह सब
अपने ही किसी अंधेरे कोने में एक गठरी में
वह सब जो मैं लेकर लौटता हूं
घर-2
सुनो!
आज सफाई के दौरान
घर के एक अंधेरे कोने से निकली
एक गठरी
जिसमें
साल भर का सामान था
थोड़ा सा अवसाद
कुछ आंसू जो किसी के व्यवहार से उपजे थे और जिन्हें मैं बटोर कर ले आया था
कुछ पुराने दस्तावेज़ स्मृतियों के
थोड़ी बहुत खुशखबरियां
और
दुर्व्यवहार अजनबियों का कभी मित्रों का भी
यह सब था उस गठरी में
लेकिन फिर भी कोई बदबू नहीं आई
घर! सब कुछ समेटते रहे तुम
मौन औ निष्कलंक रहे तुम!
@ममता नवंबर एक2023
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