अंतहीन यात्रा का भी अपना अलग सुख है!!
ज्ञान की यात्रा भी कुछ ऐसी है..कोई मंज़िल नहीं.. सिर्फ़ और सिर्फ़ यात्रा..
आपने कुछ जान लिया है ..यह तो सुखद है और आपको बहुत कुछ जानने को बच रहा है..यह अपरिमित आनंद और ऊर्जा का विषय है।
संगत में वागीश शुक्ल जी और अंजुम जी वार्ता सुनकर ऐसा ही लगा।
ममता 22/11/23
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