Tuesday, September 29, 2020

सुनो!!

सुनो!!!
मुझे नहीं मालूम तुम कौन  हो,
मुझे यह भी नहीं मालूम तुम कहां हो,
मगर हर बार जब तुम मरती हो तो तुम्हारे साथ ज़रा सी मैं भी मर जाती हूं!!
और तुम्हारे साथ मर जाती हैं ज़रा सी शालिनी मालिनी
और ....और भी असंख्य जो न मालूम कौन हैं और न मालूम कहां हैं!!!
सुनो!!
हर बार जब तुम मरती हो तो धरती की टेक्टोनिक प्लेटें इतने भयावह तरीके से हिल जाता करती हैं कि उससे आने वाले ज़लज़ले को मापने के लिए स्केल  भी छोटी पड़ जाती है !!
सुनो!!
हर बार जब तुम मरती हो तो डार्विन की रूह उठ खड़ी होती  है कि एक बार फिर से लिखनी होगी मानव के विकास की थ्योरी !!
सुनो कि हर रोज़ जब तुम मरती हो तो तुम्हारे साथ ज़रा सी मैं भी मर जाती हूं और मर जाती हैं असंख्य..…..

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