भगतसिंह को याद करते हुए!
सुनो!
तुम सही थे,
कि तुमने शहादत को गले लगाया,
क्या तुमने देखा लिया था कि स्वप्न ,
जो तुमने देखे थे थक जाएंगे एक दिन,
या फिर आउटडेटेड मान लिए जाएंगे!
सुनो!
तुम सही थे,
कि तुमने शहादत को गले लगाया,
क्या तुमने जान लिया था,
कि स्वप्न और यथार्थ दो चीजें हैं,
और उन्हें एक करने की कोशिश एक मिथ ही है बस।
सुनो!
तुम सही थे कि तुम ने शहादत को गले लगाया,
क्या तुमने जान लिया था,
कि तिल -तिल कर शहीद होने से बेहतर है ,
सिर्फ एक बार शहीद हो जाना!!
सुनो !
तुम सही थे,
कि तुमने शहादत को गले लगाया!!!
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