Tuesday, September 29, 2020

सुनो!!

सुनो!!!
मुझे नहीं मालूम तुम कौन  हो,
मुझे यह भी नहीं मालूम तुम कहां हो,
मगर हर बार जब तुम मरती हो तो तुम्हारे साथ ज़रा सी मैं भी मर जाती हूं!!
और तुम्हारे साथ मर जाती हैं ज़रा सी शालिनी मालिनी
और ....और भी असंख्य जो न मालूम कौन हैं और न मालूम कहां हैं!!!
सुनो!!
हर बार जब तुम मरती हो तो धरती की टेक्टोनिक प्लेटें इतने भयावह तरीके से हिल जाता करती हैं कि उससे आने वाले ज़लज़ले को मापने के लिए स्केल  भी छोटी पड़ जाती है !!
सुनो!!
हर बार जब तुम मरती हो तो डार्विन की रूह उठ खड़ी होती  है कि एक बार फिर से लिखनी होगी मानव के विकास की थ्योरी !!
सुनो कि हर रोज़ जब तुम मरती हो तो तुम्हारे साथ ज़रा सी मैं भी मर जाती हूं और मर जाती हैं असंख्य..…..

Monday, September 28, 2020

भगत सिंह

भगतसिंह को याद करते हुए!
सुनो!
तुम सही थे,
कि तुमने शहादत को गले लगाया,
क्या तुमने देखा लिया था कि स्वप्न ,
जो तुमने देखे थे थक जाएंगे एक दिन,
या फिर आउटडेटेड मान लिए जाएंगे!
सुनो!
तुम सही थे,
कि तुमने शहादत को गले लगाया,
क्या तुमने जान लिया था,
कि स्वप्न और यथार्थ दो चीजें हैं,
और उन्हें एक करने की कोशिश एक मिथ ही है बस।
सुनो!
तुम सही थे कि तुम ने शहादत को गले लगाया,
क्या तुमने जान लिया था,
 कि तिल -तिल कर शहीद होने से बेहतर है ,
सिर्फ एक बार शहीद हो जाना!!
सुनो !
तुम सही थे,
कि तुमने शहादत को गले लगाया!!!

Tuesday, September 1, 2020

सुनो!!!

सुनो!!
आज मुझे अचानक तुम नज़र आ गई
तुम जो अब विरले ही नज़र आती हो 
तुम अपने पार्टनर के पीछे हौले-हौले आंचल को एक ख़ास अदा से संवारती संभालती
तुम कभी नीचे सड़क को निहारती ताकि ठोकरों से बचा जा सके 
तुम, जिसके कदम ठहर ठहर कर उठते
कि कहीं गिर न जाएं टकरा न जाएं
तुम जो खो गयी हो जाने किस जद्दोजहद में 
कोई तो वजह होगी तुम्हारे गुम हो जाने की
कोई तो वजह होगी तुम्हारी ख्वाहिशों के बदल जाने की 
शायद किसी दिन किसी मूर्तिकार के हाथों तुम पत्थर में बदल जाओगी और किसी म्यूजियम में रख दी जाओगी
या फिर सभ्यता के नष्ट हो जाने पर
खुदाई में निकल कर आओगी और किसी पुरानी लिपि की तरह कभी पहचानी नहीं जाओगी!!
तुम जो आज अचानक नज़र आ गई!!!
मश
अगस्त 2020