Tuesday, November 28, 2023

पहाड़ और मनुष्य

पहाड़ और मनुष्य
सुनो!
क्या तुमने कभी पहाड़ को बोलते हुए सुना है...
क्या तुमने कभी पहाड़ को सोते हुए देखा है...
क्या तुमने कभी पहाड़ को सोचते हुए देखा है...
क्या तुमने कभी पहाड़ को रोते हुए सुना है...
पहाड़ और मनुष्य में कोई अंतर नहीं है!!
@ममता 28/11/23
उत्तरकाशी में सत्रह दिन ।

Saturday, November 25, 2023

घर

घर-1
सुनो!
मैं जब भी लौटता हूं घर
अपने साथ लेकर लौटता हूं
कुछ  सब्जियां
कुछ लून ओ तेल
कुछ चिल्ल पों
दोस्तों से हुई नोंक झोंक
बहुत सारी धूल
थोड़ा सा दफ़्तर
अवसाद और उदासी
खुशखबरी कभी कभार
और तुम बारह बार
बार बार
मुझे हंसकर अपने आगोश में लेते हो!
और भरकर रख देते हो वह सब 
अपने ही किसी अंधेरे कोने में एक गठरी में
वह सब जो मैं लेकर लौटता हूं 
घर-2
सुनो!
आज सफाई के दौरान
घर के एक अंधेरे कोने से निकली
एक गठरी
जिसमें
साल भर का सामान था
थोड़ा सा अवसाद
कुछ आंसू जो किसी के व्यवहार से उपजे थे और जिन्हें मैं बटोर कर ले आया था
कुछ पुराने दस्तावेज़ स्मृतियों के
थोड़ी बहुत खुशखबरियां
और 
दुर्व्यवहार अजनबियों का कभी मित्रों का भी
यह सब था उस गठरी में
लेकिन फिर भी कोई बदबू नहीं आई
घर! सब कुछ समेटते रहे तुम
मौन औ निष्कलंक रहे तुम!
@ममता नवंबर एक2023

Wednesday, November 22, 2023

ज्ञान...

अंतहीन यात्रा का भी अपना अलग सुख है!!
ज्ञान की यात्रा भी कुछ ऐसी है..कोई मंज़िल नहीं.. सिर्फ़ और सिर्फ़ यात्रा..
आपने कुछ जान लिया है ..यह तो सुखद है और आपको बहुत कुछ जानने को बच रहा है..यह अपरिमित आनंद और ऊर्जा का विषय है।
संगत में वागीश शुक्ल जी और अंजुम जी वार्ता सुनकर ऐसा ही लगा।
ममता 22/11/23