सुनो!!
कितना प्रकाश है बाहर!
मुझे अपने अंदर भी उतारना है ,
थोड़ा सा प्रकाश!
कि अंदर का अंधेरा मिट जाए!
कितना उत्सव है बाहर!
मुझे अपने अंदर भी उतारना है ,
थोड़ा सा उत्सव!
कि अंदर का विषाद मिट जाए!
कितना सौंदर्य है बाहर!
मुझे अपने अंदर भी उतारना है ,
थोड़ा सा सौंदर्य!
कि अंदर का मालिन्य मिट जाए!!
मश